क्या पुरुष घरेलू हिंसा का मामला दर्ज कर सकता है ?
आज हमें यहाँ इस बात पर चर्चा करने के आवश्यकता है कि जब एक पति दहेज के लिए अपनी पत्नी को प्रताड़ित करता है। मानसिक शोषण करता है शारीरिक और मानसिक यातनाये करता है। और परिवालो के साथ मिलकर अपनी पत्नी को बात बात पर परेशान करता है। परिवार वाले भी उसको परेशान करते है बात बात पर गन्दा और उल्टा बोलते है तो हम सभी उस लड़की साथ खड़े रहते है। जिससे उसके पति और ससुराल वालों को दंडित किया जाये। या जो भी इसमें शामिल हो उसको दंड मिले। देखा जाये तो ये अच्छा ही है और यह होना भी चाहिए।
परन्तु जब वही अत्याचार उसकी पत्नी और उसके परिवार वालों द्वारा पति और ससुराल वालों पर झूठे केस, दहेज उत्पीड़न का केस, घरेलू हिंसा, निर्जनता से सम्पति या धन और तलाक लेने के लिए किया जाता है तो पत्नी और उसके परिवार को दंडित करने के लिए और जेल की सजा हो उसके लिए कोई प्रावधान क्यों नही है ?
जरूरी नही होता है कि हर बार पति और उसके परिवार वालों की ही गलती ही वो लोग अपनी बहु या पत्नी को प्रताड़ित करते हो। कुछ केस ऐसे भी दर्ज होते है जिसमे पति और उसके ससुराल वालों की कोई गलती नही होती है। पत्नी अपने पति को धमकी देती है किसी चीज के मनवाने के लिए कि वह उसको घरेलु हिंसा और दहेज़ के केस में जेल भिजवा देगी।
जिसके डर से वो लोग कुछ नही कर सकते है और शांत रहते है और पत्नी अपनी मनमानी करती रहती है। तो पति अपने आप को और अपने परिवार वालों को इस तरह की प्रताड़नाओं से बचाने के लिए घरेलू हिंसा का केस क्यों नहीं दर्ज करा सकता है।
पत्नी घरेलू हिंसा का मामला दर्ज करती है। और पुलिस उसकी जाँच भी करती है और FIR को अदालत में भी जमा करती है और अदालत भी उस केस पर सुनवाई करती है। फिर क्यों एक पति अपनी पत्नी पर झूठे मामले के लिए केस दर्ज कर नहीं सकता है और अदालत क्यों नही पत्नी को जेल की सजा देती है।
पति सिर्फ मानसिक शोषण का केस दर्ज करके तलाक के लिए याचिका दायर कर सकता है। सर्वोच्य न्यायालय द्वारा इसके लिए कोई ठोस प्रावधान दिशनिर्देष होना चाहिए।