पारवारिक पेंशन

दूसरी पत्नी को पारवारिक पेंशन से नहीं जोड़ा गया है : लैन्डमार्क जजमेंट

यह मामला 5 नवंबर का नानबाई राठौर और मीना बाई के बीच छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय का है। इस मामले पर मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार अग्रवाल की खंडपीठ ने कहा कि राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी लिमिटेड (CSPGCL) के मृतक कर्मचारी की दूसरे पत्नी पारवारिक पेंशन की हकदार नही है।

पीठ ने कहा कि नानबाई राठौर मृतक जयराम प्रसाद राठौर की कानून रूप से विवाहित पत्नी है, और जयराम प्रसाद ने अपनी पहली शादी के निर्वाह के दौरान मीना बाई से शादी की थी, यह शादी हिन्दू विवाह अधिनियम के तहत अमान्य है, इसलिए अदालत इस शादी को शून्य मानती है, और उनको कानूनी तौर पर पत्नी नही ठहराया जा सकता है। विधवा या तलाक शुदा ही दूसरी शादी कर सकते है। नानबाई मृतक राठौर की कानूनी रूप से पत्नी है इसलिए वह पारवारिक पेंशन की हकदार होंगी।

पहली अपील में अदालत ने कहा कि मृतक की पहली पत्नी होने के बाद भी दूसरी शादी करना ये कानून का उलंघन है। और इसके अलावा वह पारवारिक पेंशन की हकदार नहीं है। उच्य न्यायालय ने कहा है कि अदालत का निर्णय और प्राथमिक अपील को अलग रखा गया है। और अदालत का यह विकल्प इसके द्वारा बहाल किया गया है।

जून 2009 में कोरबा जिले के निवासी जयराम प्रसाद राठौर का छत्तीसगढ़ स्टेट पावर जनरेशन कंपनी लिमिटेड में पर्यवेक्षक के रूप में कार्य करते हुए निधन हो गया। नानबाई राठौर मृतक की पहली पत्नी है जबकि मीना बाई की दूसरी अपील के अनिर्णय के दौरान मृत्यु हो गई। नानबाई की शादी जयराम प्रसाद राठौर से 15 मई 1978 को शादी हुई थी।

पेंशन को छोड़कर नानबाई और मीना बाई की बीच विवाद सभी सेवानिवृत्त बकाया राशि को लेकर उत्पन्न हुआ था, जो कि दोनों के बीच समझौता करवा कर सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझा लिया गया था। जहां दोनों पत्नियां राठौड़ के सेवानिवृत्त बकाया में आधे आधे हिस्से की हकदार थी।

 

निम्नलिखित सर्वसम्मत निर्णय में किए गए प्रमुख अवलोकन हैं। भारत में अधिक कानूनी निर्णय के लिए …

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Anshika Katiyar
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