हमारे स्वतंत्र भारत में हर नागरिक को बदलाव करने के अधिकारों की स्वतंत्रता प्राप्त है। पर बदलाव वही व्यक्ति कर सकता है जिसके अंदर अपनों के खिलाफ लड़ने की हिम्मत हो, जो समाज को चुनौती दे सके। प्राचीन काल से चले आ रहे पुराने रूढ़िवादी नियमो एवं रिवाज़ों को अपने बदलाव की राह में विघ्न ना बनने दें। घरेलू हिंसा हमारे राष्ट्र की बहुत बड़ी परेशानी है .
जो व्यक्ति चुपचाप जुर्म सह रहा हो एक दिन वही व्यक्ति उन जुर्म करने वालों को मुँह तोड़ जबाब दे सके, उनके खिलाफ आवाज़ उठा सके। ज्यादातर लोगों में घरेलू हिंसा के खिलाफ आवाज़ उठाने की हिम्मत नहीं होती है और उनको यह सारी बातें महज एक काल्पनिक बातें लगती हैं।
तो चलिए आज हम आपको एक ऐसे ही किस्से की तरफ ले चल रहे है, जिससे आपको यह महसूस होगा कि बदलाव संभव है। बस आपको हिम्मत दिखाने की देर है।
उसकी उम्र अभी अपना कैरियर बनाने की थी। काव्या बहुत सुन्दर और चंचल थी। उसके पिता जी को लगता था कि २० साल की हो चुकी है कब तक लड़की को घर पर बिठा कर रखा जायेगा। समाज में दस तरह की बातें होती है।
दस लोग दस तरह के सवाल पूछते है। उसके घर वालों को समाज का इतना भय और दबाव था कि उन्होंने अपनी बेटी के मन की बात न जान कर उसकी शादी तय कर दी। जब काव्या को पता चला तो वह इस फैसले से खुश नही थी पर घर वालों की खुशी के लिए उसने कुछ नही बोला और अपने सपनों का गला घोठ दिया।
काव्या की फ़ोन पर उस लड़के से बात होने लगी। काव्या को खुशी थी कि वो शादी की बाद अपने सपनों को साकार कर सकती है।
कुछ समय के बाद काव्या की शादी हो गई। सारे रीति रिवाज़ों के बाद जब वह अपने ससुराल आई तो कुछ दिनों तक तो सब अच्छा चला।
पर कुछ समय के बाद उसके ससुराल वालों, और पति का व्यवहार बहुत ही बदल गया। हर छोटी छोटी बातों पर उसको गालियां मिलने लगी। हर चीज में रोक टोक होने लगी। यहाँ नहीं जाना वहां नहीं जाना।
साड़ी ऐसे क्यों पहनी है, शरीर का एक भी अंग दिखाना नही चाहिए, बाल खुले क्यों है, इतना मेकअप करके कहा जा रही है, किससे बात कर रही हो, क्या बात कर रही हो। अकेले घर से बाहर न जाने देना।
हर रात एक नया नंग नाच होना। मानो जैसे कि यह सब उसकी जिंदगी का एक हिस्सा बन गया था। बात गालिओं तक ही सीमित नही थी मार पीट तक पहुंच गई थी। हर बात पर मारना पीटना, मायके बात नहीं करने देते थे।
एक दिन उसके पति ने उसको इतना मारा कि उसके कान में दर्द उठा जब डॉक्टर को दिखाया तो पता चला कि उसका कान का पर्दा फट गया है। उसके सर में इतनी चोट लगी है कि जब उसको दर्द होता है तो अपना अतीत याद आता है तो रूह कांप जाती है।
यह बात सुन कर काव्या के पिताजी उसको लेने तो आ गए लेकिन यह सोच कि घर ले जाकर इसको समझा कर वापिस भेज दूँगा।
उसके पिताजी ने बहुत समझाया, यह सब लगा रहता है ऐसे घर छोड़ने की बात नही की जाती है हम लोगों को क्या मुँह दिखाएँगे, क्या जबाब देंगे लोगों को। लोग तुमको ही गलत समझेंगे।
उसके पति को भी समझा कर, काव्या को वापिस भेज दिया। काव्या के ऊपर उसके ससुराल बालों का अत्याचार दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा था। वो इन सब चीजों से बहुत तंग आ चुकी थी तब उसने फैसला लिया कि वो घरेलु हिंसा के खिलाफ आवाज़ उठाएगी, केस करेगी।
जिसके बाद उसके बताये गए समय पर वरिष्ठ वकील ने उसको फोन किया और उसकी समस्याओं के बारे में जाना और उचित मार्गदर्शन बताया, जिससे काव्या उसके ऊपर ज़ुल्म करने वाले आरोपिओं को जेल पहुंचने में सफल रही और काव्या को न्याय मिला । आज काव्या खुश हाल जिंदगी जी रही है।